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इन्सा के नियम

परिषद् और अधिकारी  
24.

परिषद् के अधिकारियों तथा अन्य सदस्यों का चुनाव अकादमी की वार्षिक साधारण बैठक में होगा।

25.
परिषद् निम्नलिखित प्रक्रिया के अनुसार ऐसे व्यक्तियों के नामों की एक सूची बनाएगी जिनकी सिफ़ारिश वह अगले वर्ष के लिए परिषद् के अधिकारी और अन्य सदस्य चुने जाने के लिए करती है

परिषद् तय करेगी कि अगले वर्ष के दौरान नियम 26 तथा 27 के अनुसार परिषद् के अधिकारी मंडल और अन्य सदस्यों की कितनी रिक्तियाँ होंगी।

चालू वर्ष और इससे पहले के दो वर्षों के लिए परिषद् के सदस्यों की सूची और अगले वर्ष होने वाली रिक्तियों की सूची, रिक्तियों को भरने के बारे में सुझाव आमंत्रित करने के लिए अध्येताओं को परिचालित कर दी जाएगी।

प्राप्त सुझाव परिषद् के सदस्यों के विचार जानने के लिए उन्हें परिचालित कर दिए जाएँगे। सुझाए गए नामों से अंतिम नामाकंन करते समय परिषद् द्वारा इन विचारों को ध्यान में रखा जाएगा। नामांकनों पर चर्चा करते समय परिषद् के वे सदस्य अध्यक्ष पद के लिए चयन प्रक्रिया में भाग नहीं लेंगे जिनके नामों पर इस पद के लिए विचार किया जा रहा हो।

आगामी वर्ष के लिए चुनाव हेतु परिषद् द्वारा संस्तुत नामों की सूची मतपत्र के रुप में अकादमी के प्रत्येक अध्येता को अकादमी की वार्षिक साधारण बैठक की तिथि से कम-से-कम एक माह पूर्व डाक द्वारा भेज दी जाएगी। मतपत्र में उन परिवर्तनों के लिए खाली स्तंभ होगा जो कोई अध्येता करना चाहे। मतपत्र वार्षिक साधारण बैठक के लिए नियत तिथि से कम-से-कम एक सप्ताह पूर्व अकादमी को लौटा दिए जाएँगे।

चुनाव की विधि नीचे लिखे अनुसार होगी :

  • सभापति उपस्थित अध्येताओं के बहुमत के अनुमोदन से दो संवीक्षक नियुक्त करेगा।

  • संवीक्षक मतपत्रों को गिनेंगे और सभापति को उन व्यक्तियों के नाम सूचित करेंगे जिन्होंने अकादमी की परिषद् के अधिकारियों तथा अन्य सदस्यों के चुनाव के लिए बहुमत प्राप्त किया हो और पीठ से उन नामों की घोषणा विधिवत् निर्वाचित के रुप में कर दी जाएगी।

  • यदि किसी मतपत्र पर नामों की उचित से अधिक संख्या हो या किसी ऐसे वैज्ञानिक का नाम हो जो पात्र नहीं है तो वह अवैध हो जाएगा और संवीक्षक उसकी गणना नहीं करेंगे।

  • यदि किन्हीं दो या अधिक नामितियों के मतों की संख्या बराबर हो, तो संवीक्षक इस तथ्य की घोषणा करेंगे और सभापति लाटरी द्वारा निर्णय करेगा कि किस नामिती को चुना जाए।

नई परिषद् वर्षगाँठ साधारण बैठक की समाप्ति के बाद कार्यभार संभालेगी।
 

26.

सातों अधिकारियों में से प्रत्येक अधिकारी लगातार तीन वर्ष की अवधि तक अपने पद पर बना रहेगा। परिषद् के अध्यक्ष, उपाध्यक्षों तथा सदस्यों की सेवानिवृत्ति तीन वर्ष के कार्यकाल को ध्यान में रखकर तय की जाएगी, जब भी अपेक्षित हो। अपने कार्यकाल की समाप्ति पर अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष तीन वर्ष की अवधि तक परिषद् की सदस्यता या परिषद् के किसी अन्य पद हेतु पुनर्निर्वाचन के लिए पात्र नहीं होंगे, किंतु यह नियम अध्यक्ष के पद के चुनाव के लिए परिषद् के किसी सदस्य पर लागू नहीं होगा।
 

27.
निवर्तमान सदस्य नियम 28(च )के अंतर्गत किए गए प्रावधान को छोड़कर अपनी सेवानिवृत्ति की तिथि से तीन वर्ष तक परिषद् की सदस्यता के लिए पात्र नहीं होंगे। सेवानिवृत्ति का निर्णय वरिष्ठता द्वारा किया जाएगा,रिक्तियों को छोड़कर जो अन्यथा बनी हों। समान वरिष्ठता की स्थिति में वरिष्ठता का निर्णय लाटरी द्वारा किया जाएगा। इसके बावजूद परिषद् के सभी निवर्तमान सदस्य, अध्यक्ष को छोड़कर, अध्यक्ष के पद के चुनाव के लिए पात्र होंगे।
 
28.
अध्यक्ष के पद की या छह उपाध्यक्षों में से किसी के पद की रिक्ति होने पर, परिषद् के शेष सदस्य उस पद की बकाया अवधि के लिए उस रिक्ति को परिषद् के वर्तमान सदस्यों में से भरने के लिए सक्षम होंगे, किंतु अगली साधारण बैठक द्वारा उसकी पुष्टि की जाएगी।

यदि परिषद् के सदस्यों में कोई रिक्ति हो जाए तो परिषद् के शेष सदस्य उस रिक्ति को अकादमी के अध्येताओं से भरने के लिए सक्षम होंगे, किंतु अगली साधारण बैठक द्वारा उसकी पुष्टि की जाएगी।

परिषद् द्वारा अंतरिम रिक्तियाँ केवल बाकी बची अवधि के लिए भरी जाएँगी।

किसी भी कारण से अपनी अनुपस्थिति के दौरान अध्यक्ष, उसके लौटने तक, अध्यक्ष के कामकाज करने के लिए और कागज़ों पर हस्ताक्षर करने के लिए वरिष्ठतम उपाध्यक्ष को नामित करेगा, किंतु परिषद् द्वारा पहले अवसर पर इसकी पुष्टि की जाएगी।

यदि कोई उपाध्यक्ष अपने कर्त्तव्य निभाने में असमर्थ हो तो अध्यक्ष, उसकी वापसी तक, उसके कर्तव्य निभाने और कागज़ों पर हस्ताक्षर करने के लिए परिषद् के किसी सदस्य को नामित करेगा, किंतु परिषद् द्वारा पहले अवसर पर इसकी पुष्टि की जाएगी।

कोई भी सदस्य, जिसने परिषद् मे एक वर्ष से अधिक समय तक काम न किया हो, चाहे अतिरिक्त सदस्य के रुप में या अंतरिम रिक्ति में, तीन वर्ष की पूरी अवधि के लिए चुने जाने का पात्र होगा।
29.

इन नियमों के अनुसार गठित परिषद्, अपने पद का कार्यकाल वस्तुतः समाप्त हो जाने के बावजूद तब तक पद पर बनी रहेगी, जब तक उनके उत्तराधिकारियों की विधिवत् नियुक्ति न हो जाए।

परिषद् के अधिकार और कर्त्तव्य
30.
परिषद् के अधिकार और कर्तव्य नीचे लिखे अनुसार होंगे :

अकादमी के कामकाज की व्यवस्था करना और इस प्रयोजन के लिए ऐसे विनियम तथा दिशानिर्देश बनाना जो अकादमी के सुप्रशासन और इसके उद्देश्यों की पूर्ति के लिए प्रेरक प्रतीत हों, बशर्ते कि विनियम तथा दिशानिर्देश इन नियमों में निहित किसी बात के साथ असंगत न हों। परिषद् के पास अपने किसी भी विनियम के संशोधन या परिवर्तन का अधिकार है। अकादमी के दिशानिर्देशों में अधिकारी मंडल द्वारा परिशोधन या परिवर्तन किया जा सकता है और उसकी सूचना परिषद् को दे दी जाएगी।

अकादमी में आए उन पत्रों पर विचार करना जो, अध्यक्ष की राय में, वर्तमान विनियमों तथा दिशानिर्देशों के अंतर्गत नहीं निपटाए जा सकते, और जो साधारण बैठक में प्रस्तुत किए जाने हों, उनके बारे में क्रम तथा विधि तय करना।

अकादमी द्वारा प्रकाशित पत्रिकाओं या अन्य रचनाओं के प्रकाशन की देख-रेख करना और निर्देश देना।

उतने वेतनभोगी कर्मचारी नियुक्त करना जितने आवश्यक समझे जाएँ और उनके कर्त्तव्य, भत्ते, वेतन, उपदान तथा विशेषाधिकार, भर्त्ती के नियम, सेवा के निबंधन तथा शत और, परिस्थिति की अपेक्षा के अनुसार उन्हें निलंबित या बरख़ास्त करने अथवा उनकी सेवाएं समाप्त करने के लिए प्रक्रियाएं तय करना।

अकादमी की किन्हीं पुस्तकों, नक्शों, नमूनों आदि की अतिरिक्त प्रतियों का विनिमय अन्य संपत्ति के साथ करना या अन्यथा उसका निपटान उस विधि से करना जो उनकी राय में अकादमी के उद्देश्यों तथा हित को आगे बढ़ाएगी।.

अकादमी के सामान्य कारोबार पर रिपोर्ट तैयार करना और वार्षिक साधारण बैठक को प्रस्तुत करना। इस रिपोर्ट की एक प्रति, 31 मार्च को समाप्त होने वाले वर्ष के लेखापरीक्षित लेखा विवरण और अगले वर्ष के अनुमानित आय तथा व्यय के साथ, वहाँ उपस्थित अध्येताओं की जानकारी के लिए पटल पर रखी जाएगी और सभी अध्येताओं को उपलब्ध कराई जाएगी।.

अकादमी के कार्यक्षेत्र के भीतर विशेष मदों तथा विषयों पर विचार करने के लिए परिषद्, अध्येताओं के सामान्य निकाय से, समितियाँ नियुक्त कर सकती है। इन समितियों के सदस्यों के रुप में परिषद् विदेशी अध्येताओं तथा अन्य प्रतिष्ठित व्यक्तियों को भी नियुक्त कर सकती है जो सक्षम और विषय में निष्णात हों। परिषद् उन समितियों के लिए सभापति/सचिव/संयोजक नियुक्त कर सकती है। परिषद् के पास कर्तव्य, कार्यकाल निर्धारित करने और किसी वर्तमान समिति को विघटित करने का अधिकार होगा।

साधारण बैठक की स्वीकृति के अधीन,परिषद् को उन अध्येताओं से प्राप्य किसी राशि की वसूली के लिए कानूनी कार्रवाई करने का अधिकार होगा जो अपनी देयताओं का नोटिस मिलने के बाद अनुपालन न करें या अनुपालन करने से इनकार करें।
परिषद् की और परिषद् द्वारा नियुक्त समितियों की बैठकें
31.
परिषद् की बैठकों पर निम्नलिखित नियम लागू होंगे :-

परिषद् की बैठकें ऐसे समय पर होंगी जो वह उपयुक्त समझे और वह ऐसे विनियम बना सकती है, जो इन नियमों के साथ असंगत न हों, जो वह उन बैठकों के कार्य-व्यापार के निष्पादन के लिए उचित समझे । हर वर्ष समिति की कम-से -कम तीन सांविधिक बैठकें और तीन साधारण बैठकें होंगी। किंतु, यदि कामकाज के निष्पादन के लिए अधिक बैठकों की ज़रुरत हो तो वे अध्यक्ष द्वारा एक महीने का नोटिस देकर बुलाई जा सकती हैं ।

अध्यक्ष अन्य सभी सदस्यों को नोटिस देकर परिषद् की विशेष बैठक भी बुला सकता है।.

परिषद् की सांविधिक बैठक के लिए गणपूर्ति दस सदस्यों से होगी। परिषद् की असांविधिक बैठक के लिए गणपूर्ति की आवश्यकता नहीं।

अध्यक्ष या उसकी अनुपस्थिति में कोई उपाध्यक्ष पीठासीन होगा। यदि बैठक के लिए निर्धारित समय के बाद 15 मिनट के भीतर अध्यक्ष या कोई भी उपाध्यक्ष उपस्थित न हो तो वहाँ उपस्थित अध्येता कोई सभापति चुन लेंगे।

मतदान की सामान्य विधि हाथ दिखाकर होगी,किंतु मतदान मतपत्र द्वारा किया जाएगा जब इस आशय का प्रस्ताव विधिवत् पारित किया जाए या जब नियमों में मतदान के लिए इस विधि का प्रावधान हो।.

सभापति को अन्य अध्येताओं के साथ मत देने का हक़ होगा और जब मत बराबर हों तो उसका एक दूसरा और निर्णायक मत होगा।

किसी प्रश्न पर मतदान, स्थगन प्रस्ताव पर मतदान को छोड़कर, वहाँ उपस्थित किसी भी अध्येता की माँग पर, अगली बैठक तक स्थगित कर दिया जाएगा, बशर्ते कि उसे उपस्थित परिषद् के बहुमत का समर्थन प्राप्त हो।

परिषद् की प्रत्येक बैठक की कार्यवाही का कार्यवृत्त उपाध्यक्ष ( अध्येतावृत्ति मामले ) द्वारा या वहाँ उपस्थित किसी अन्य उपाध्यक्ष द्वारा जिसे सभापति इस अवसर के लिए नियुक्त करे, बैठक के दौरान लिया जाएगा। बाद में कार्यवृत्त, उसकी यथातथ्यता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से सदस्यों को परिपत्रित किया जाएगा और फिर कार्यवृत्त पुस्तिका में दर्ज किया जाएगा और परिषद् की अगली बैठक में प्रस्तुत किया जाएगा और सभापति द्वारा हस्ताक्षरित किया जाएगा।.
32.
परिषद् द्वारा नियुक्त समितियाँ ऐसे समय तथा स्थान पर बैठक करेंगी जो समिति का सभापति/संयोजक तय करे ।

समितियाँ उन विनियमों तथा दिशानिर्देशों का पालन करेंगी जो परिषद् द्वारा उन्हें दिए जाएँ।

ऐसी समितियों की बैठकों की कार्यवाही का कार्यवृत्त दर्ज किया जाएगा और माँगने पर परिषद् को सूचित किया जाएगा।.

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