नियम

नामनियम 1

1.संस्था को भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी कहा जाएगा।

उद्देश्यनियम 2

2.भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी के मुख्य उद्देश्य हैं


 भारत में राष्ट्रीय कल्याण की समस्याओं पर इसके व्यावहारिक अनुप्रयोग सहित वैज्ञानिक ज्ञान का संवर्धन।

 वैज्ञानिक अकादमियों, सभाओं, संस्थाओं, सरकार के वैज्ञानिक विभागों और सेवाओं के बीच समन्वय।
भारत में वैज्ञानिकों के हितों के संवर्धन तथा रक्षा के लिए और देश में किए गए वैज्ञानिक काम को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुत करने के लिए प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों के एक निकाय के रुप में काम करना।
 राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय महत्त्व के वैज्ञानिक काम को हाथ में लेने के लिए, जो अकादमी को जनता द्वारा या सरकार द्वारा करने को कहा जाए, विधिवत् गठित राष्ट्रीय समितियों के माध्यम से काम करना जिनमें अन्य विद्वत् अकादमियों और संस्थाओं को भी सहयोजित किया जा सकता है।

 ऐसी कार्यवाहियाँ, जरनल, संस्मरण तथा अन्य रचनाएँ प्रकाशित करना जो वांछनीय समझी जाएँ।
 विज्ञान और मानविकी के बीच सम्पर्क को बढ़ाना और बनाए रखना।

 विज्ञान के संवर्धन के लिए निधियाँ तथा स्थायी निधियाँ जुटाना और उनका प्रबंध करना।

 ऐसे अन्य सभी काम करना जो अकादमी के उपर्युक्त उद्देश्यों को पूरा करने के लिए आवश्यक हों या उसमें सहायता करें।

गठननियम 3

3.अकादमी में संस्थापक अध्येता, अध्येता और विदेशी अध्येता होंगे।

 संस्थापक अध्येता : जिन्होंने अकादमी के उद् घाटन से पहले अध्येता के रुप में नामांकन स्वीकार कर लिया है।

 अध्येता : जो अध्येताओं के चुनाव तथा प्रवेश के नियमों के अनुसार चुने गए हैं।

 विदेशी अध्येता : वे व्यक्ति जो विज्ञान के अपने ज्ञान, या उसमें योगदान या उसके कल्याण के लिए प्रतिष्ठित हों और भारत की राज्यक्षेत्रीय सीमाओं से बाहर रहते हों, जिन्होंने देश में विज्ञान की प्रगति में किसी प्रकार से योगदान किया हो या कर सकते हों। भारत को छोड़कर अन्य सभी देशों के व्यक्ति अकादमी की विदेशी अध्येतावृत्ति के लिए पात्र होंगे।

प्रशासन और अधिकारीनियम 4-5

4.अकादमी के कामकाज का प्रशासन, निर्देशन और प्रबंधन एक परिषद् को सौंपा जाएगा जो अकादमी के अधिकारी मंडल से बनेगी, अर्थात् एक अध्यक्ष, छह उपाध्यक्ष और 20 अन्य अध्येता, कुल मिलाकर सत्ताईस । उपाध्यक्षों के उत्तरदायित्व सामूहिक होंगे और स्वतंत्र भी और उनके नाम होंगे : उपाध्यक्ष ( अध्येतावृत्ति मामले ); उपाध्यक्ष ( विज्ञान संवर्धन ); उपाध्यक्ष ( संसाधन प्रबंधन); उपाध्यक्ष ( अंतरराष्ट्रीय मामले ); उपाध्यक्ष ( प्रकाशन/सूचना विज्ञान ) और उपाध्यक्ष ( विज्ञान और समाज ) । इसके अलावा, परिषद् के अतिरिक्त सदस्यों के लिए प्रावधान होगा, प्रत्येक सहकारी अकादमियों अर्थात् एशियाटिक सोसाइटी, कलकत्ता, राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी ( भारत ) , इलाहबाद और इंडियन साइंस कांग्रेस एसोसिएशन द्वारा अकादमी के अध्येताओं में से नामित एक-एक सदस्य। और, भारत सरकार के लिए प्रावधान होगा कि अकादमी के अध्येताओं में से अपना एक प्रतिनिधि परिषद् के अतिरिक्त सदस्य के रुप में नामित कर दे।त्

5.परिषद् का कोई सदस्य नियम 28 में उल्लिखित अंतरिम रिक्तियों से संबंधित परिस्थितियों को छोड़कर एक समय में एक से अधिक पद धारण नहीं कर सकता।

अध्येताओं का चुनाव और प्रवेशनियम 6-11

6.अध्येताओं का चुनाव परिषद् द्वारा बनाए गए विनियमों से शासित होगा, किंतु इन विनियमों में निम्नलिखित बातों के लिए प्रावधान होगा, जिनका अनुष्ठान अकादमी के सभी अध्येताओं की राय लेने के बाद ही किया जा सकेगा ।

 अध्येतावृत्ति के चुनाव के लिए पात्रता भारतीय नागरिकों तक सीमित होगी।

 निर्वाचित सदस्यों की संख्या प्रति वर्ष 30 तक सीमित होगी, जब तक जीवित अध्येताओं की कुल संख्या 1000 तक न पहुँच जाए।

 हर नामिती इस प्रयोजन के लिए निर्धारित प्रपत्र पर प्रस्तावित, अनुमोदित और दो अध्येताओं द्वारा अलग-से समर्थित किया जाएगा। इनमें से कम-से-कम तीन उसकी वैज्ञानिक उपलब्धियों को अपने निजी ज्ञान से प्रमाणित करेंगे। उपाध्यक्ष ( अध्येतावृत्ति मामले ) को अधिकार होगा कि वह किसी अध्येता से, जो भारत का निवासी न हो, लिखित अनुरोध प्राप्त होने पर उसकी ओर से प्रमाणपत्र पर हस्ताक्षर कर दे।

 इस प्रयोजन के लिए परिषद् द्वारा बनाए गए विनियमों के एक निर्धारित सेट का पालन करते हुए, अकादमी को प्रस्तावित नामितियों की कुल सूची से परिषद् द्वारा चुनाव उनमें से किया जाएगा जिनकी संस्तुति अनुभागीय समितियों ने की हो। चुनाव डाक द्वारा मतदान से किया जाएगा जिसके लिए मत पत्र, परिषद् द्वारा बनाए गए विनियमों के अनुसार, हर अध्येता को भेजे जाएँगे।

 परिषद् की राय में जिन व्यक्तियों ने विज्ञान के क्षेत्र में उत्कृष्ट सेवा की हो या जिनका चुनाव अकादमी के लिए विशेष रुप से लाभकारी हो सकता हो, उन्हें भी अध्येतावृत्ति के लिए चुना जा सकता है, किंतु किसी वर्ष इस प्रकार दो से अधिक व्यक्ति नहीं चुने जाएँगे, और यदि किसी वर्ष दो व्यक्ति चुन लिए जाएँ तो अगले वर्ष इस श्रेणी के अंतर्गत कोई चुनाव नहीं होगा।
7.उपाध्यक्ष ( अध्येतावृत्ति मामले ) उन व्यक्तियों को चुनाव की लिखित सूचना भेजेगा जो विधिवत् चुने गए हों, और उसके साथ (i) हस्ताक्षर किया जाने वाला प्रतिज्ञा प्रपत्र प्रथा (ii) वर्तमान नियमों तथा विनियमों की एक प्रति भी भेजेगा।

8.अध्येता चुने गए व्यक्तियों को चुनाव पर प्रवेश शुल्क और अध्येतावृत्ति अभिदान देना होगा। यदि प्रवेश शुल्क और अध्येतावृत्ति अभिदान का भुगतान उसके अध्येता चुने जाने की सूचना के दो माह के भीतर न किया जाए तो वह चुनाव अमान्य हो जाएगा। परंतु,यदि उसके चुनाव की तिथि से बारह माह की अवधि के भीतर प्रवेश शुल्क और अध्येतावृत्ति अभिदान का भुगतान कर दिया जाए तो परिषद् पूरे विशेषाधिकारों के साथ उसकी अध्येतावृत्ति को बहाल कर सकती है। नियम 6 (ड.) के प्रावधानों के अंतर्गत चुने गए अध्येता के मामले में परिषद् अपने विवेक से प्रवेश शुल्क और अध्येतावृत्ति अभिदान के भुगतान से छूट दे सकती है।
9.किसी भी व्यक्ति को, चाहे वह अकादमी के नियमों तथा विनियमों के अनुसार निर्वाचित हो गया हो, तब तक अध्येतावृत्ति के अधिकारों तथा विशेषाधिकारों का प्रयोग करने का हक़ नहीं होगा, और न ही उसका नाम अध्येताओं की सूची में दर्ज किया जाएगा, जब तक वह प्रवेश शुल्क तथा अध्येतावृत्ति अभिदान का भुगतान न कर दे और प्रतिज्ञा प्रपत्र पर हस्ताक्षर करके न लौटा दे।
10.प्रभावी अध्येतावृत्ति प्रवेश शुल्क तथा अध्येतावृत्ति अभिदान के भुगतान और प्रतिज्ञा प्रपत्र पर हस्ताक्षर के बाद शुरु होगी और जैसा यहां बाद में प्रावधान किया गया है उस समय विद्यमान अकादमी के नियमों तथा विनियमों की, और उन द्वारा दी गई वचनबद्धता की और इसके बाद बनाए जाने वाले नियमों तथा विनियमों की एक प्रत्यक्ष मौन सहमति की अभिव्यक्ति के समतुल्य होगी।
11.हर नया अध्येता जिसने प्रवेश शुल्क तथा अध्येतावृत्ति अभिदान का भुगतान कर दिया हो और प्रतिज्ञा प्रपत्र विधिवत् हस्ताक्षर करके तथा उपाध्यक्ष ( अध्येतावृत्ति मामले ) को संबोधित करके लौटा दिया हो, पहली साधारण बैठक में, जिसमें वह शामिल हो, किसी अध्येता द्वारा सभापति के सामने प्रस्तुत किया जाएगा जो उसे नाम से संबोधित करते हुए कहेगा, ‘ भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी के नाम में और उसके प्राधिकार से मैं तुम्हें उसका अध्येता बनाता हूँ और उसे परिषद् द्वारा निर्धारित प्रपत्र में यह प्रमाणित करने वाला एक डिप्लोमा प्रस्तुत करेगा कि अकादमी में उसका चुनाव हो गया है ; उसके बाद अध्येता उपरोक्त प्रतिज्ञा की प्रतिलिपि पर इस प्रयोजन के लिए रखी गई पुस्तक में हस्ताक्षर करेगा।

हस्ताक्षर की जाने वाली प्रतिज्ञा – नियम 12

12.अकादमी का अध्येता चुना गया हर व्यक्ति, अपने प्रवेश से पहले, निम्नलिखित शब्दों में प्रतिज्ञा पर हस्ताक्षर करेगा/करेगी
भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी के अध्येता के रुप में मैं वैज्ञानिक आचार संहिता का पालन करुंगा/गी, शोध तथा प्रकाशनों में सत्यनिष्ठा बनाए रखूँगा/गी, विज्ञान के हित तथा अकादमी की प्रतिष्ठा की रक्षा करुँगा/गी, अपने निर्णय में निष्पक्ष रहने का प्रयास करुँगा/गी और मानव मूल्यों तथा विचारों की समृद्धि के लिए यत्न करुँगा/गी।

                                                                                                                                                                                                                      

विदेशी अध्येताओं का चुनावनियम 13

13.विदेशी अध्येताओं के चुनाव की प्रक्रिया वही होगी जो समय समय पर परिषद् द्वारा बनाए गए विनियमों में निर्धारित है किंतु उनकी संख्या 150 तक सीमित रहेगी और हर वर्ष अधिकतम छह का चुनाव किया जाएगा। विदेशी अध्येताओं से कोई प्रवेश शुल्क या अध्येतावृत्ति अभिदान नहीं लिया जाएगा। .s.

अध्येताओं के अधिकार और विशेषाधिकार -14

14.अध्येता निम्नलिखित अधिकारों और विशेषाधिकारों के हक़दार होंगे:-.

 सभी साधारण बैठकों में भाग लेना और मत देना।.

 अध्येतावृत्ति के लिए नामितियों को प्रस्तावित करना और उनकी संस्तुति करना।.

 अकादमी के पुरस्कारों के लिए व्यक्तियों को प्रस्तावित करना।.

 अकादमी के पुस्तकालय में निजी पहुँच प्राप्त करना।.

 परिषद द्वारा निर्धारित किए गए विनियमों के अनुसार पुस्तकालय से पुस्तकें, प्लेटें, आरेख, पांडुलिपियाँ आदि लेना।


* Rule 15 & 16 since dropped. Annual General Meeting, October 2018.

अध्येतावृत्ति की समाप्ति – 17-23

18.उपाध्यक्ष ( अध्येतावृत्ति मामले ) प्रेषक के अनुरोध पर नाम वापस लेने के पत्र को उसकी प्राप्ति के छह माह के भीतर रद्द कर सकता है और उसके बाद उसे अध्येतावृत्ति के सभी अधिकार फिर प्राप्त हो जाएँगे। परिषद् को, विशेष मामलों में, उपर्युक्त छह माह की सीमा में छूट देने का अधिकार होगा।

19.कोई अध्येता जो अकादमी का अध्येता न रहे, चाहे स्वेच्छा से नाम वापस लेले या उसकी अध्येतावृत्ति ज़ब्त कर लिए जाने पर वह उस द्वारा अकादमी को देय राशियों ( यदि कोई हों ) के भुगतान के लिए उत्तरदायी बना रहेगा/गी और अकादमी से उस द्वारा उधार ली गई सभी पुस्तकें, सामग्री तथा अन्य संपत्ति ( यदि कोई हो ) उसे लौटानी होंगी और यदि वह गुम, क्षतिग्रस्त हो गई हो या न मिल रही हो तो पूरी क्षतिपूर्ति करेगा/गी।
20.जिन अध्येताओं ने अकादमी से अपना नाम वापस ले लिया हो, वे नियम 6 के अनुसार पुनर्निर्वाचन के लिए पात्र होंगे। पुनर्निर्वाचित हो जाने पर उनसे केवल प्रवेश शुल्क लिया जाएगा।
21.यदि अकादमी का कोई अध्येता जानबूझकर अकादमी या परिषद् के नियमों अथवा आदेशों की अवहेलना करे, या किसी साधारण बैठक में जानबूझकर किसी आदेश का उल्लंघन करे, या अनजाने में किसी आदेश की अवहेलना अथवा उल्लंघन हो जाने पर, अध्यक्ष द्वारा उसे चेतावनी दिए जाने के बाद भी अपनी बात पर अडिग रहे, या यदि किन्हीं अन्य कारणों से परिषद् को ऐसा लगे कि उस अध्येता का नाम सूची में नहीं रहना चाहिए तो उसे अकादमी से निकाला जा सकता है। जब कभी किसी अध्येता को अकादमी से निकालने के लिए ऊपर लिखे अनुसार कोई कारण दिखाई दे,यदि परिषद् यथोचित विचार-विमर्श के बाद मतदान द्वारा बहुमत से यह तय करे कि अकादमी को उस अध्येता को निकाल देने के लिए कहा जाए, तो अध्यक्ष, अकादमी की किसी साधारण बैठक में पीठ से परिषद् के उस निर्णय की घोषणा करेगा,और जिस बैठक में उक्त घोषणा की जाए उससे अगली बैठक में प्रस्ताव को मतदान के लिए रखा जाएगा। यदि उस साधारण बैठक में उपस्थित और मतदान करने वाले तीन-चौथाई अध्येता उस अध्येता को निकाल देने के पक्ष में मत दें, तो उसे अकादमी से निकाल दिया जाएगा।

22.नियम 21 के अनुसार निकाला गया अध्येता, परिषद् के अनुमोदन के बिना, पुनर्नामांकन के लिए पात्र नहीं होगा।

23.अकादमी के किसी अध्येता/विदेशी अध्येता की मृत्यु दर्ज की जाएगी और अकादमी की अगली साधारण बैठक में पीठ से घोषित की जाएगी।

परिषद् और अधिकारी – 24-29

24.परिषद् के अधिकारियों तथा अन्य सदस्यों का चुनाव अकादमी की वार्षिक साधारण बैठक में होगा।
25.परिषद् निम्नलिखित प्रक्रिया के अनुसार ऐसे व्यक्तियों के नामों की एक सूची बनाएगी जिनकी सिफ़ारिश वह अगले वर्ष के लिए परिषद् के अधिकारी और अन्य सदस्य चुने जाने के लिए करती है


 परिषद् तय करेगी कि अगले वर्ष के दौरान नियम 26 तथा 27 के अनुसार परिषद् के अधिकारी मंडल और अन्य सदस्यों की कितनी रिक्तियाँ होंगी।

 चालू वर्ष और इससे पहले के दो वर्षों के लिए परिषद् के सदस्यों की सूची और अगले वर्ष होने वाली रिक्तियों की सूची, रिक्तियों को भरने के बारे में सुझाव आमंत्रित करने के लिए अध्येताओं को परिचालित कर दी जाएगी।

 प्राप्त सुझाव परिषद् के सदस्यों के विचार जानने के लिए उन्हें परिचालित कर दिए जाएँगे। सुझाए गए नामों से अंतिम नामाकंन करते समय परिषद् द्वारा इन विचारों को ध्यान में रखा जाएगा। नामांकनों पर चर्चा करते समय परिषद् के वे सदस्य अध्यक्ष पद के लिए चयन प्रक्रिया में भाग नहीं लेंगे जिनके नामों पर इस पद के लिए विचार किया जा रहा हो।
 आगामी वर्ष के लिए चुनाव हेतु परिषद् द्वारा संस्तुत नामों की सूची मतपत्र के रुप में अकादमी के प्रत्येक अध्येता को अकादमी की वार्षिक साधारण बैठक की तिथि से कम-से-कम एक माह पूर्व डाक द्वारा भेज दी जाएगी। मतपत्र में उन परिवर्तनों के लिए खाली स्तंभ होगा जो कोई अध्येता करना चाहे। मतपत्र वार्षिक साधारण बैठक के लिए नियत तिथि से कम-से-कम एक सप्ताह पूर्व अकादमी को लौटा दिए जाएँगे।

 चुनाव की विधि नीचे लिखे अनुसार होगी :
सभापति उपस्थित अध्येताओं के बहुमत के अनुमोदन से दो संवीक्षक नियुक्त करेगा।


संवीक्षक मतपत्रों को गिनेंगे और सभापति को उन व्यक्तियों के नाम सूचित करेंगे जिन्होंने अकादमी की परिषद् के अधिकारियों तथा अन्य सदस्यों के चुनाव के लिए बहुमत प्राप्त किया हो और पीठ से उन नामों की घोषणा विधिवत् निर्वाचित के रुप में कर दी जाएगी।


यदि किसी मतपत्र पर नामों की उचित से अधिक संख्या हो या किसी ऐसे वैज्ञानिक का नाम हो जो पात्र नहीं है तो वह अवैध हो जाएगा और संवीक्षक उसकी गणना नहीं करेंगे।


यदि किन्हीं दो या अधिक नामितियों के मतों की संख्या बराबर हो, तो संवीक्षक इस तथ्य की घोषणा करेंगे और सभापति लाटरी द्वारा निर्णय करेगा कि किस नामिती को चुना जाए।

 नई परिषद् वर्षगाँठ साधारण बैठक की समाप्ति के बाद कार्यभार संभालेगी।
 
26.सातों अधिकारियों में से प्रत्येक अधिकारी लगातार तीन वर्ष की अवधि तक अपने पद पर बना रहेगा। परिषद् के अध्यक्ष, उपाध्यक्षों तथा सदस्यों की सेवानिवृत्ति तीन वर्ष के कार्यकाल को ध्यान में रखकर तय की जाएगी, जब भी अपेक्षित हो। अपने कार्यकाल की समाप्ति पर अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष तीन वर्ष की अवधि तक परिषद् की सदस्यता या परिषद् के किसी अन्य पद हेतु पुनर्निर्वाचन के लिए पात्र नहीं होंगे, किंतु यह नियम अध्यक्ष के पद के चुनाव के लिए परिषद् के किसी सदस्य पर लागू नहीं होगा।
 
27.निवर्तमान सदस्य नियम 28(च )के अंतर्गत किए गए प्रावधान को छोड़कर अपनी सेवानिवृत्ति की तिथि से तीन वर्ष तक परिषद् की सदस्यता के लिए पात्र नहीं होंगे। सेवानिवृत्ति का निर्णय वरिष्ठता द्वारा किया जाएगा,रिक्तियों को छोड़कर जो अन्यथा बनी हों। समान वरिष्ठता की स्थिति में वरिष्ठता का निर्णय लाटरी द्वारा किया जाएगा। इसके बावजूद परिषद् के सभी निवर्तमान सदस्य, अध्यक्ष को छोड़कर, अध्यक्ष के पद के चुनाव के लिए पात्र होंगे।
 
28. अध्यक्ष के पद की या छह उपाध्यक्षों में से किसी के पद की रिक्ति होने पर, परिषद् के शेष सदस्य उस पद की बकाया अवधि के लिए उस रिक्ति को परिषद् के वर्तमान सदस्यों में से भरने के लिए सक्षम होंगे, किंतु अगली साधारण बैठक द्वारा उसकी पुष्टि की जाएगी।


यदि परिषद् के सदस्यों में कोई रिक्ति हो जाए तो परिषद् के शेष सदस्य उस रिक्ति को अकादमी के अध्येताओं से भरने के लिए सक्षम होंगे, किंतु अगली साधारण बैठक द्वारा उसकी पुष्टि की जाएगी।


 परिषद् द्वारा अंतरिम रिक्तियाँ केवल बाकी बची अवधि के लिए भरी जाएँगी।


किसी भी कारण से अपनी अनुपस्थिति के दौरान अध्यक्ष, उसके लौटने तक, अध्यक्ष के कामकाज करने के लिए और कागज़ों पर हस्ताक्षर करने के लिए वरिष्ठतम उपाध्यक्ष को नामित करेगा, किंतु परिषद् द्वारा पहले अवसर पर इसकी पुष्टि की जाएगी।


 यदि कोई उपाध्यक्ष अपने कर्त्तव्य निभाने में असमर्थ हो तो अध्यक्ष, उसकी वापसी तक, उसके कर्तव्य निभाने और कागज़ों पर हस्ताक्षर करने के लिए परिषद् के किसी सदस्य को नामित करेगा, किंतु परिषद् द्वारा पहले अवसर पर इसकी पुष्टि की जाएगी।


 कोई भी सदस्य, जिसने परिषद् मे एक वर्ष से अधिक समय तक काम न किया हो, चाहे अतिरिक्त सदस्य के रुप में या अंतरिम रिक्ति में, तीन वर्ष की पूरी अवधि के लिए चुने जाने का पात्र होगा।
29.इन नियमों के अनुसार गठित परिषद्, अपने पद का कार्यकाल वस्तुतः समाप्त हो जाने के बावजूद तब तक पद पर बनी रहेगी, जब तक उनके उत्तराधिकारियों की विधिवत् नियुक्ति न हो जाए।

परिषद् के अधिकार और कर्त्तव्य – 30


30.परिषद् के अधिकार और कर्तव्य नीचे लिखे अनुसार होंगे :

 अकादमी के कामकाज की व्यवस्था करना और इस प्रयोजन के लिए ऐसे विनियम तथा दिशानिर्देश बनाना जो अकादमी के सुप्रशासन और इसके उद्देश्यों की पूर्ति के लिए प्रेरक प्रतीत हों, बशर्ते कि विनियम तथा दिशानिर्देश इन नियमों में निहित किसी बात के साथ असंगत न हों। परिषद् के पास अपने किसी भी विनियम के संशोधन या परिवर्तन का अधिकार है। अकादमी के दिशानिर्देशों में अधिकारी मंडल द्वारा परिशोधन या परिवर्तन किया जा सकता है और उसकी सूचना परिषद् को दे दी जाएगी।

 अकादमी में आए उन पत्रों पर विचार करना जो, अध्यक्ष की राय में, वर्तमान विनियमों तथा दिशानिर्देशों के अंतर्गत नहीं निपटाए जा सकते, और जो साधारण बैठक में प्रस्तुत किए जाने हों, उनके बारे में क्रम तथा विधि तय करना।

 अकादमी द्वारा प्रकाशित पत्रिकाओं या अन्य रचनाओं के प्रकाशन की देख-रेख करना और निर्देश देना।

 उतने वेतनभोगी कर्मचारी नियुक्त करना जितने आवश्यक समझे जाएँ और उनके कर्त्तव्य, भत्ते, वेतन, उपदान तथा विशेषाधिकार, भर्त्ती के नियम, सेवा के निबंधन तथा शत और, परिस्थिति की अपेक्षा के अनुसार उन्हें निलंबित या बरख़ास्त करने अथवा उनकी सेवाएं समाप्त करने के लिए प्रक्रियाएं तय करना।

 अकादमी की किन्हीं पुस्तकों, नक्शों, नमूनों आदि की अतिरिक्त प्रतियों का विनिमय अन्य संपत्ति के साथ करना या अन्यथा उसका निपटान उस विधि से करना जो उनकी राय में अकादमी के उद्देश्यों तथा हित को आगे बढ़ाएगी।.

 अकादमी के सामान्य कारोबार पर रिपोर्ट तैयार करना और वार्षिक साधारण बैठक को प्रस्तुत करना। इस रिपोर्ट की एक प्रति, 31 मार्च को समाप्त होने वाले वर्ष के लेखापरीक्षित लेखा विवरण और अगले वर्ष के अनुमानित आय तथा व्यय के साथ, वहाँ उपस्थित अध्येताओं की जानकारी के लिए पटल पर रखी जाएगी और सभी अध्येताओं को उपलब्ध कराई जाएगी।.

 अकादमी के कार्यक्षेत्र के भीतर विशेष मदों तथा विषयों पर विचार करने के लिए परिषद्, अध्येताओं के सामान्य निकाय से, समितियाँ नियुक्त कर सकती है। इन समितियों के सदस्यों के रुप में परिषद् विदेशी अध्येताओं तथा अन्य प्रतिष्ठित व्यक्तियों को भी नियुक्त कर सकती है जो सक्षम और विषय में निष्णात हों। परिषद् उन समितियों के लिए सभापति/सचिव/संयोजक नियुक्त कर सकती है। परिषद् के पास कर्तव्य, कार्यकाल निर्धारित करने और किसी वर्तमान समिति को विघटित करने का अधिकार होगा।

 साधारण बैठक की स्वीकृति के अधीन,परिषद् को उन अध्येताओं से प्राप्य किसी राशि की वसूली के लिए कानूनी कार्रवाई करने का अधिकार होगा जो अपनी देयताओं का नोटिस मिलने के बाद अनुपालन न करें या अनुपालन करने से इनकार करें।

परिषद् की और परिषद् द्वारा नियुक्त समितियों की बैठकें31-32

31.परिषद् की बैठकों पर निम्नलिखित नियम लागू होंगे :-


 परिषद् की बैठकें ऐसे समय पर होंगी जो वह उपयुक्त समझे और वह ऐसे विनियम बना सकती है, जो इन नियमों के साथ असंगत न हों, जो वह उन बैठकों के कार्य-व्यापार के निष्पादन के लिए उचित समझे । हर वर्ष समिति की कम-से -कम तीन सांविधिक बैठकें और तीन साधारण बैठकें होंगी। किंतु, यदि कामकाज के निष्पादन के लिए अधिक बैठकों की ज़रुरत हो तो वे अध्यक्ष द्वारा एक महीने का नोटिस देकर बुलाई जा सकती हैं ।


 अध्यक्ष अन्य सभी सदस्यों को नोटिस देकर परिषद् की विशेष बैठक भी बुला सकता है।.


परिषद् की सांविधिक बैठक के लिए गणपूर्ति दस सदस्यों से होगी। परिषद् की असांविधिक बैठक के लिए गणपूर्ति की आवश्यकता नहीं।


 अध्यक्ष या उसकी अनुपस्थिति में कोई उपाध्यक्ष पीठासीन होगा। यदि बैठक के लिए निर्धारित समय के बाद 15 मिनट के भीतर अध्यक्ष या कोई भी उपाध्यक्ष उपस्थित न हो तो वहाँ उपस्थित अध्येता कोई सभापति चुन लेंगे।


 मतदान की सामान्य विधि हाथ दिखाकर होगी,किंतु मतदान मतपत्र द्वारा किया जाएगा जब इस आशय का प्रस्ताव विधिवत् पारित किया जाए या जब नियमों में मतदान के लिए इस विधि का प्रावधान हो।.


 सभापति को अन्य अध्येताओं के साथ मत देने का हक़ होगा और जब मत बराबर हों तो उसका एक दूसरा और निर्णायक मत होगा।


 किसी प्रश्न पर मतदान, स्थगन प्रस्ताव पर मतदान को छोड़कर, वहाँ उपस्थित किसी भी अध्येता की माँग पर, अगली बैठक तक स्थगित कर दिया जाएगा, बशर्ते कि उसे उपस्थित परिषद् के बहुमत का समर्थन प्राप्त हो।


 परिषद् की प्रत्येक बैठक की कार्यवाही का कार्यवृत्त उपाध्यक्ष ( अध्येतावृत्ति मामले ) द्वारा या वहाँ उपस्थित किसी अन्य उपाध्यक्ष द्वारा जिसे सभापति इस अवसर के लिए नियुक्त करे, बैठक के दौरान लिया जाएगा। बाद में कार्यवृत्त, उसकी यथातथ्यता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से सदस्यों को परिपत्रित किया जाएगा और फिर कार्यवृत्त पुस्तिका में दर्ज किया जाएगा और परिषद् की अगली बैठक में प्रस्तुत किया जाएगा और सभापति द्वारा हस्ताक्षरित किया जाएगा।.
32.
 परिषद् द्वारा नियुक्त समितियाँ ऐसे समय तथा स्थान पर बैठक करेंगी जो समिति का सभापति/संयोजक तय करे ।


 समितियाँ उन विनियमों तथा दिशानिर्देशों का पालन करेंगी जो परिषद् द्वारा उन्हें दिए जाएँ।

 ऐसी समितियों की बैठकों की कार्यवाही का कार्यवृत्त दर्ज किया जाएगा और माँगने पर परिषद् को सूचित किया जाएगा।.

अध्यक्ष के अधिकार और कर्त्तव्य – 33

33.अध्यक्ष के अधिकार और कर्तव्य नीचे लिखे अनुसार होंगे :


 अकादमी की तथा परिषद् की सभी बैठकों की अध्यक्षता करना, और ऐसी बैठकों की कार्यवाही को नियंत्रित करना।.


 नियमों का और परिषद् द्वारा नियम 30 खंड ( क ) के अंतर्गत बनाए गए विनियमों तथा दिशानिर्देशों का कार्यान्वयन सुनिश्चित करना। .


 परिषद् द्वारा नियुक्त सभी समितियों का पदेन सदस्य होना।.


 किसी नियम की व्याख्या में संदेह की स्थिति में, व्याख्या तय करना। ऐसे मामले में, अध्यक्ष की व्याख्या समिति की अगली बैठक तक वैध रहेगी, जब विचाराधीन नियम की व्याख्या अंतिम रुप से तय कर दी जाएगी।

उपाध्यक्षों के अधिकार और कर्त्तव्य – 34

34.उपाध्यक्षों के अधिकार और कर्तव्य नीचे लिखे अनुसार होंगे :


 अध्यक्ष की अनुपस्थिति में बैठकों की ( परिषद् की बैठकों सहित ) अध्यक्षता करना और उन बैठकों की कार्यवाही को नियंत्रित करना।


 अनुभागीय समितियों और नियम 30 (छ) के अंतर्गत नियुक्त अन्य समितियों को छोड़कर परिषद् द्वारा समय-समय पर नियुक्त समितियों का पदेन सदस्य होना। .


 विर्निदिष्टानुसार अकादमी के क्रियाकलाप का उत्तरदायित्व संभालना।.

उपाध्यक्ष ( संसाधन प्रबंधन ) के अधिकार और कर्त्तव्य – 35

35.नियम 34 ( क ) ( ख ) तथा ( ग ) के अंतर्गत उपाध्यक्षों के सामान्य अधिकारों तथा कर्त्तव्यों के अतिरिक्त उपाध्यक्ष ( संसाधन प्रबंधन ) निम्नलिखित के लिए उत्तरदायी होगा ।:


 अकादमी को दी गई समस्त धनराशि, नियम 36 के अधीन, प्राप्त करना और अकादमी के प्रयोग के लिए रखना। वह अकादमी से देय सभी राशियों का संवितरण करेगा/गी और ऐसी सभी प्राप्तियों तथा भुगतानों का सही लेखा रखने का पर्यवेक्षण करेगा/गी।.


 वह अकादमी की संपत्ति और आधारिक संरचना सुविधाओं के लिए उत्तरदायी होगा/गी।

निधियाँ और लेखे 36-39


36.
 अकादमी की प्राप्तियों तथा व्यय के खातों और वाउचरों की जाँच स्थापना एवं वित्त समिति द्वारा, जिसमें भारत सरकार के दो प्रतिनिधि शामिल होंगे, ऐसे अंतरालों पर की जाएगी जो परिषद् निर्धारित करे, और उनकी वार्षिक लेखापरीक्षा होगी। अकादमी द्वारा सरकार की ओर से संचालित सभी निधियों के अलग लेखे रखे जाएँगे। व्यावसायिक लेखापरीक्षण के बाद, लेखों का वार्षिक विवरण अकादमी की रिपोर्ट में छापा जाएगा।


 अकादमी के सभी वित्तीय मामलों पर, उन मामलों सहित जो सरकारी अनुदान की राशि को प्रभावित करते हों और जो अकादमी के कर्मचारियों की सेवा, भर्त्ती तथा पदोन्नति की शर्तों से संबंधित हों, उन्हें चर्चा के लिए परिषद् में रखने से पहले, स्थापना एवं वित्त समिति द्वारा विचार किया जाएगा। परिषद् ऐसे किसी मामले पर विचार नहीं करेगी जब तक स्थापना एवं वित्त समिति ने उस पर विचार न कर लिया हो। .
37.अध्येताओं से प्रवेश शुल्क तथा अध्येतावृत्ति अभिदान के रुप में प्राप्त सभी राशियों का उनकी प्राप्ति के बाद यथा शीघ्र उपाध्यक्ष ( संसाधन प्रबंधन ) द्वारा विनियमों के अनुसार नियमित रुप से निवेश किया जाएगा और यह माना जाएगा कि केवल उससे अर्जित होने वाला ब्याज ही अकादमी के सामान्य खर्चे के लिए उपलब्ध है।.

38.अकादमी की सभी प्रतिभूतियाँ और धनराशि विनियमों के अनुसार सुरक्षित अभिरक्षा में रखी जाएँगी।.
39.अकादमी की निधियों का वित्तीय नियंत्रण बनाए रखने के लिए अपनाए जाने वाले विनियम तय करने के लिए परिषद् सक्षम होगी।

उपाध्यक्ष (अध्येतावृत्ति मामले ) के अधिकार और कर्त्तव्य– 40

40.नियम 34 ( क ) ( ख ) तथा ( ग ) के अंतर्गत उपाध्यक्षों के सामान्य अधिकारों तथा कर्तव्यों के अतिरिक्त , और कर्तव्यों के उस प्रत्यायोजन के अधीन जो नियम 45 के अनुसार किया जाए, उपाध्यक्ष ( अध्येतावृत्ति मामले ) निम्नलिखित के लिए उत्तरदायी होगा :


 नियमों में किए गए वैकल्पिक प्रावधानों को छोड़कर अकादमी का और परिषद् का पत्राचार करना।.


 अकादमी की और परिषद् की बैठकों में भाग लेना, उन बैठकों की कार्यवाही का कार्यवृत्त रिकार्ड करना, कार्यवृत्त प्रस्तुत करना और पिछली बैठक के निर्णयों पर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट देना।


 साधारण बैठकों में, पिछली बैठक से अकादमी को की गई प्रस्तुतियों की घोषणा करना और अध्येतावृत्ति के लिए नामितियों के नाम पढ़ना।


 वार्षिक साधारण बैठक में प्रस्तुत करने के लिए अध्येताओं की एक अद्यतन संशोधित सूची तैयार करना।


 अकादमी तथा परिषद् की समस्त कार्यवाही को अगली बैठक से पहले कार्यवृत्त पुस्तिका में दर्ज करना या कराना, और ध्यान रखना कि अकादमी के कार्य-व्यापार से संबिंधत हर प्रकार के सभी पत्र तथा कागज़ तथा प्रलेख ठीक तरह से फ़ाइल किए जाते हैं और सुरक्षित रखे जाते हैं।


 कर्मचारियों का और अकादमी के कामकाज का सामान्य पर्यवेक्षण करना, अकादमी के सुचारु संचालन के लिए दिशानिर्देश तैयार करना, और नियमों, विनियमों तथा नियम 30 के अंतर्गत परिषद् द्वारा जारी किए गए आदेशों के पालन में मदद करना। .

उपाध्यक्ष ( अंतर्राष्ट्रीय मामले ) के अधिकार और कर्त्तव्य– 41

41.नियम 34 (क) (ख) तथा (ग) के अंतर्गत उपाध्यक्षों के सामान्य अधिकारों तथा कर्तव्यों के अतिरिक्त उपाध्यक्ष ( अंतर्राष्ट्रीय मामले ) निम्नलिखित के लिए उत्तरदायी होगा:


 विदेशों के साथ अकादमी के कार्य-व्यापार से संबंधित पत्राचार करना, विदेशियों से अकादमी को प्रस्तुतियों के लिए आभार व्यक्त करना, और विदेशी अध्येता चुने गए व्यक्तियों को अकादमी में उनके चुनाव के प्रमाणस्वरुप डिप्लोमा भेजना।


 अकादमी के अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रमों और अकादमी से अनुदान का प्रयोग करने वाले भारतीय विज्ञानियों के विदेशी शिष्टमंडलों से संबंधित सभी मामलों का पर्यवेक्षण करना।

उपाध्यक्ष (प्रकाशन /इन्फोर्मेटिक्स ) के अधिकार और कर्त्तव्य – 42

42.नियम 34 (क) (ख) तथा (ग) के अंतर्गत उपाध्यक्षों के सामान्य अधिकारों तथा कर्तव्यों के अतिरिक्त उपाध्यक्ष ( प्रकाशन/सूचना विज्ञान ) निम्नलिखित के लिए उत्तरदायी होगा:


 अकादमी के प्रकाशनों और ऐसे क्रियाकलापों से संबंधित मामलों का प्रबंधन ।


 वह पुस्कालय, सूचना प्रौद्योगिकी सुविधाओं और अकादमी के अभिलेखागार के रख-रखाव सहित सूचना विज्ञान के लिए उत्तरदायी होगा/गी।.


 अकादमी की प्रत्येक पत्रिका/मोनोग्राफ/विशेष प्रकाशन के लिए संपादकों/अतिथि संपादकों की नियुक्ति हेतु व्यक्तियों की पहचान करना और परिषद् को सुझाव देना ।.

उपाध्यक्ष ( विज्ञान संवर्धन ) के अधिकार और कर्त्तव्य – 43

43.नियम 34 (क) (ख) तथा (ग) के अंतर्गत उपाध्यक्षों के सामान्य अधिकारों तथा कर्तव्यों के अतिरिक्त उपाध्यक्ष ( विज्ञान संवर्धन ) के निम्नलिखित उत्तरदायित्व होंगे


विज्ञान का इतिहास और आधारभूत विज्ञान अनुसंधान योजनाओं या अकादमी के किसी अनुसंधान समर्थन कार्यक्रम के क्रियाकलापों का निरीक्षण करना। वह योजनाओं से संबधित क्रियाकलापों को पूरा करने के लिए परिषद् द्वारा समय-समय पर बनाए गए दिशानिर्देशों को कार्यान्वित करने के लिए सलाह देगा/गी।.

उपाध्यक्ष (विज्ञान और समाज ) के अधिकार और कर्त्तव्य– 44

44.नियम 34 ( क ) ( ख ) तथा ( ग ) के अंतर्गत उपाध्यक्षों के सामान्य अधिकारों तथा कर्तव्यों के अतिरिक्त उपाध्यक्ष ( विज्ञान और समाज ) निम्नलिखित के लिए उत्तरदायी होगा :


To oversee the programmes related to Science and Society. He/She will provide advice to implement the guidelines formulated by the Council from time to time for completion of the activities related to this programme.

कार्यकारी सचिव के कर्त्तव्य– 45

45.विज्ञान और समाज से संबंधित कार्यक्रमों का निरीक्षण करना। वह उस कार्यक्रम से संबंधित क्रियाकलापों को पूरा करने के लिए परिषद् द्वारा समय-समय पर निरुपित दिशानिर्देशों के कार्यान्वय के लिए सलाह देगा/गी।

अकादमी की साधारण बैठकें – 46-52

46.
अकादमी की साधारण बैठकें चार प्रकार की होंगी, अर्थात् :-
           i) सामान्य
           ii) वार्षिक
           iii) वर्षगाँठ
           iv) असामान्य
47.
अकादमी की साधारण बैठकों पर निम्नलिखित नियम लागू होंगे:


 गणपूर्ति दस अध्येताओं से होगी।.


 अध्यक्ष या उसकी अनुपस्थिति में कोई उपाध्यक्ष पीठासीन होगा। उनकी अनुपस्थिति में, वहाँ उपस्थित परिषद् का कोई वरिष्ठ सदस्य पीठासीन होगा। यदि न अध्यक्ष मौजूद हो, न उपाध्यक्ष और न ही परिषद् का कोई वरिष्ठ सदस्य, तो बैठक के लिए निर्धारित समय के बाद पंद्रह मिनट बीत जाने पर वहाँ उपस्थित अध्येता कोई सभापति चुन लेंगे।


 प्रत्येक बैठक का कामकाज यहाँ बाद में नियम 49, 50 तथा 51 में निर्धारित क्रम के अनुसार चलाया जाएगा, परंतु अध्यक्ष को या किसी उपाध्यक्ष को बैठक से कम-से-कम 48 घंटे पहले लिखित नोटिस दिए जाने पर,आवश्यक कामकाज को तत्काल निपटाने के लिए एक प्रस्ताव लाया जाए और यदि वह प्रस्ताव समर्थित तथा पारित हो जाए तो यह नियम निलंबित कर दिया जाएगा।

 उपर्युक्त खंड में उल्लिखित अपवाद को छोड़कर, किसी महत्त्वपूर्ण मामले पर प्रस्ताव का नोटिस उस साधारण बैठक से पूर्ववर्ती बैठक में दिया जाएगा जिसमें उस विषय पर विचार किया जाना हो,या जिस साधारण बैठक में विषय पर विचार किया जाना हो उससे कम-से-कम एक महीना पहले पत्र द्वारा किया जाएगा ताकि उस विषय में रुचि रखने वाले अध्येताओं को उसके बारे में जानकारी एकत्र करने का अवसर मिल सके और वे अपनी सहमति या असहमति व्यक्त कर सकें ;और जिस प्रस्ताव का नोटिस न दिया गया हो,वैसे किसी प्रस्ताव को उस बैठक में नहीं लिया जाएगा जिसमें उसे रखा जाए, यदि अध्यक्ष या बैठक का सभा पति निर्णय ले कि उसे स्थगित कर दिया जाए।

 सभी प्रस्तावों तथा संशोधनों को, उनको छोड़कर जो परिषद् से आएँ, समर्थित करवाना होगा, अन्यथा उन्हें प्रस्तुत नहीं किया जा सकता। संशोधनों का लिखित रुप में होना ज़रुरी है, जब तक वे सभापति द्वारा निष्पादित न किए जाएँ। एक समय में बैठक के सामने मूल प्रस्ताव में एक से अधिक संशोधन नहीं रखे जाएँगे। जब ऐसे किसी संशोधन को नकार दिया गया हो या मूल प्रस्ताव का स्थान दे दिया गया हो, तब अन्य मुद्दों के साथ नए संशोधन प्रस्तावित किए जा सकते हैं।.

 मतदान की विधि हाथ दिखाकर होगी, परंतु किसी विषय-विशेष पर मतदान मतपत्र द्वारा किया जा सकता है जब इस आशय का प्रस्ताव विधिवत् पारित किया जाए और, जब इन नियमों में विशेष रुप से प्रावधान किया गया हो तब मतदान इसी प्रकार किया जाएगा।.

 हाथ दिखाने पर सभापति का निर्णय अंतिम होगा जब तक विभाजन की माँग न की जाए। वहाँ उपस्थित कोई भी अध्येता विभाजन की माँग कर सकता है।

 सभापति शेष बैठक के साथ मत नहीं देगा परंतु जब पक्ष और विपक्ष में मत बराबर हों, तब उसका एक निर्णायक मत होगा।

 किसी भी अध्येता को किसी प्रश्न पर बहुमत से लिए गए निर्णय के विरुद्ध, कारण बताकर, अपना प्रतिरोध दर्ज करने का अधिकार है, बशर्ते कि वह प्रतिरोध उस बैठक की तिथि से दो सप्ताह के भीतर, जिसमें वह निर्णय लिया गया था, लिखित रुप में उपाध्यक्ष ( अध्येतावृत्ति मामले ) को भेज दिया जाए।
48.
साधारण बैठक ऐसे समय और ऐसे स्थान पर होगी जो परिषद् तय करे, और एक वर्ष के दौरान होने वाली साधारण बैठकों की कुल संख्या तीन से कम नहीं होगी। दिसंबर/जनवरी की बैठक को वर्षगाँठ साधारण बैठक कहा जाएगा। वर्ष के दौरान होने वाली एक बैठक को वार्षिक साधारण बैठक और अन्य को सामान्य साधारण बैठक कहा जाएगा।.
49.
आम तौर पर बैठकों में काम-काज का क्रम नीचे लिखे अनुसार होगा :
:


 पिछली बैठक का कार्यवृत्त पढ़ा जाएगा और संशोधन के बाद, यदि ज़रुरी हो, उसकी पुष्टि की जाएगी और सभापति उस पर हस्ताक्षर करेगा।.


 प्रतिष्ठित विज्ञानियों को दिए गए इन्सा पुरस्कारों तथा विशिष्टताओं की घोषणा।.

 ऐसा काम-काज निष्पादित किया जाएगा जो परिषद् द्वारा बनाए गए विनियमों के अनुसार अध्येताओं के चुनाव के संबंध में जरुरी हो।.

 उद्दिष्ट प्रस्तावों का नोटिस दिया जाएगा।.

 जिन प्रस्तावों का नोटिस पिछली बैठक में या नियम 47 के खंड ( घ ) के अनुसार डाक द्वारा दिया गया हो, उन्हें निपटाया जाएगा, इस नियम के खंड ( च ) और नियम 47 के खंड (ग) तथा (घ) में किए गए प्रावधान को छोड़ कर।


 सामायिक काम-काज तथा नेमी मामलों को निपटाया जाएगा। यदि किसी प्रश्न के बारे में यह शंका पैदा हो कि वह सामयिक काम-काज का तथा नेमी है या नहीं, तो इसका निर्णय सभापति द्वारा किया जाएगा।.

 परिषद् से रिपोट और संदेश विचारार्थ प्रस्तुत किए जाएँगे।.

अकादमी द्वारा प्राप्त कागज़-पत्रों तथा संदेशों को नियम 30 ( ख ) के अंतर्गत परिषद् द्वारा निर्धारित क्रम में पढ़ा जाएगा। .

 सभापति नए अध्येताओं तथा विदेशी अध्येताओं के नाम घोषित करेगा, यदि कोई हों, और उन्हें नियम 11 की औपचारिकताएँ पूरी करने के लिए आमंत्रित करेगा। जिन उपस्थित अध्येताओं ने प्रतिज्ञा पुस्तिका पर हस्ताक्षर न किए हों वे ऐसा करेंगे और इसके अतिरिक्त उन्हें नियम 11 के प्रावधान के अनुसार सभापति के सामने प्रस्तुत किया जाएगा।.
जब सभापति यह समझे कि बैठक अनावश्यक रुप से लंबी हो गई, तब उसे ( झ ) में किए गए प्रावधान को छोड़कर यह आदेश देने का अधिकार होगा कि किसी अधूरे कामकाज को अगली बैठक के लिए स्थगित कर दिया जाए।:



50.
अकादमी की वार्षिक साधारण बैठक निम्नलिखित नियमों के अंतर्गत और निम्नलिखित काम-काज के निष्पादन के लिए आयोजित की जाएगी .

 बैठक अकादमी के मुख्यालय में उस तिथि को की जाएगी जो परिषद् निर्धारित करे। यदि गणपूर्ति के लिए सदस्य उपस्थित न हों तो बैठक उस तिथि तक स्थगित हो जाएगी जो सभापति तय करे, किंतु दो सप्ताह से अधिक नहीं।.

 बैठक की, उसके समय तथा तिथि की, बैठक के स्थान की और उसमें निष्पादित किए जाने वाले काम-काज की सूचना अध्येताओं को बैठक की तिथि से कम-से-कम दो सप्ताह पहले दी जाएगी।



 बैठक में किया जाने वाले काम-काज होगा :

नियम 30 ( च ) के प्रावधान के अनुसार परिषद् द्वारा तैयार की गई वार्षिक रिपोर्ट को सुनना।.


अकादमी के काम की समीक्षा करने वाली अध्यक्ष की टिप्पणियों को सुनना।.


अन्य काम-काज निपटाना जिसका नोटिस खंड ( ख ) के प्रावधान के अनुसार दिया गया है।.


आगामी वर्ष के लिए अधिकारी मंडल और परिषद् के अन्य सदस्यों की घोषणा करना, जैसा नियम 25 में प्रावधान किया गया है।.


निर्वाचित अध्येताओं के नामों की घोषणा करना जब तक कि परिषद् यह निर्णय न ले कि इसे परिषद् की बैठक में या सामान्य साधारण बैठक में अधिक सुविधा से किया जा सकता है।
51.
अकादमी की वर्षगाँठ साधारण बैठक निम्नलिखित नियमों के अंतर्गत और निम्नलिखित काम-काज के निष्पादन के लिए आयोजित की जाएगी:


 बैठक सामान्यत:हर वर्ष दिसंबर/जनवरी में आयोजित की जाएगी, अच्छा हो कि उस शहर को वरियता दी जाए जो इंडियन साइंस कांग्रेस एसोसिएशन की बैठक के लिए चुना गया हो। यदि गणपूर्ति के लिए सदस्य उपस्थित न हों तो बैठक उस तिथि तक स्थगित हो जाएगी जो सभापति तय करे किंतु एक सप्ताह से अधिक नहीं।.


 बैठक की,उसके समय तथा तिथि की,बैठक के स्थान की और उसमें निष्पादित किए जाने वाले काम-काज की सूचना अध्येताओं को बैठक की तिथि से कम-से-कम दो सप्ताह पहले ही जाएगी।.


 बैठक में किया जाने वाला काम-काज होगा : (i) अध्यक्ष का अभिभाषण सुनना ; (ii) अन्य काम-काज निपटाना जिसका नोटिस खंड ( ख ) के प्रावधान के अनुसार दिया गया है।.
52.
असामान्य साधारण बैठकों पर निम्नलिखित नियम लागू होंगे:


 ऐसी बैठक परिषद् के बहुमत द्वारा बुलाई जा सकती है और अध्यक्ष द्वारा बुलाई जाएगी जब कम-से-कम चालीस अध्येताओं द्वारा हस्ताक्षरित माँगपत्र द्वारा उसे ऐसा करने के लिए कहा जाए जिसमें उस विशेष कार्य – व्यापार का उल्लेख हो जिसके लिए असामान्य साधारण बैठक बुलाना उचित है।.


 बैठक के दिन तथा समय का और उसमें निष्पादित किए जाने वाले विशेष काम-काज का नोटिस असामान्य बैठक के लिए अनुरोध प्राप्त होने के एक माह के भीतर और बैठक की तिथि से एक माह पहले अध्येताओं को भेज दिया जाएगा, किंतु यदि कामकाज अत्यंत् आवश्यक हो तो परिषद् एक माह से पहले का कोई नोटिस दे सकती है, लेकिन इस खंड के अर्थ के भीतर नियम 53 ( ग ) में विर्निदिष्ट प्रकार का कोई कामकाज अत्यावश्यक नहीं माना जाएगा।.


 उस बैठक में नोटिस में शामिल कामकाज के अलावा कोई अन्य कामकाज नहीं किया जाएगा और न ही किसी अपरिचित व्यक्ति को वहाँ रहने की अनुमति दी जाएगी।.

अध्येताओं के मत  – 53-55

53.
निम्नलिखित किसी भी मामले में अध्येताओं के मत [ उन्हें उपाध्यक्ष ( अध्येतावृत्ति मामले ) द्वारा प्रेषित ] मतपत्रों द्वारा लिए जाएँगे-


 जब परिषद् अपने विवेक से तय करे कि यह अकादमी के हित में होगा कि अकादमी के सभी अध्येताओं को साधारण बैठक के निर्णय से अपील की जाए।.


 जब 10 या अधिक अध्येता एक माँगपत्र पर हस्ताक्षर कर के अध्यक्ष को ऐसी अपील करने के लिए कहें।.


 वित्त, संगठन के बारे में बड़े परिवर्तनों के प्रस्ताव, अकादमी के नियमों तथा उद्देश्यों में परिवर्तन या कोई अन्य बड़ी मद जिसके लिए, परिषद् की राय में, अकादमी के सभी अध्येताओं को लिखना ज़रुरी है।.
54.
अकादमी के सभी अध्येताओं के मतों के लिए नियम 53 के अंतर्गत आने वाले किसी प्रश्न को परिचालित करने से पहले परिषद् उस साधारण बैठक से कम-से-कम दो सप्ताह पूर्व, जिसमें वह प्रश्न रखा जाना है, हर अध्येता को एक मुद्रित परिपत्र भिजवाएगी जिसमें प्रस्ताव का स्वरुप और उसका कारण बताया गया हो, ताकि उस साधारण बैठक में उस पर विधिवत् चर्चा हो सके। बैठक में प्रस्ताव के विरुद्ध उठाई जा सकने वाली किसी आपत्ति का विवरण मतपत्रों के साथ परिचालित किया जाएगा।.
55.
अकादमी के सभी अध्येताओं के मतों के लिए भेजा गया कोई भी प्रश्न मतों द्वारा निर्वाचन के लिए मतपत्र जारी करने से तीस दिन की अवधि के बाद साधारण बैठक के सामने लाया जाएगा। सभापति मतों की जाँच तथा गणना कराएगा और परिणाम सूचित करेगा।.

विविध– 56-60 

56.
अकादमी के वेतनभोगी कर्मचारी के रुप में नियुक्त किसी भी व्यक्ति को मत देने का अधिकार नहीं होगा। यदि किसी अध्येता को ऐसे किसी पद पर नियुक्त कर दिया जाए तो उसे अकादमी की बैठक में तब तक मत देने का हक़ नहीं होगा जब तक वह उस पद पर रहे, किंतु उसे अध्येतावृत्ति के अन्य विशेषाधिकारों से वंचित नहीं किया जाएगा।.
57.
कार्यकारी सचिव अकादमी की, उसकी साधारण बैठकों की, और परिषद् की बैठकों की कार्यवाहियों का रिकार्ड रखेगा, जैसा समय समय पर परिषद् द्वारा निर्धारित किया जाए। सभी अध्येताओं को साधारण बैठकों का रिकार्ड देखने का हक़ होगा।.
58.
सभी पत्र, नोटिस, बैठकों के कार्यवृत्त तथा अकादमी के काम-काज से संबधित अन्य प्रलेख उनकी तिथियों के क्रम से फाइल किए जाएँगे और सुरक्षित रखे जाएँगे।.
59.
जब परिषद् द्वारा किसी नए नियम के समावेश या किसी वर्तमान नियम के परिवर्तन अथवा निरसन की सिफ़ारिश की जाए या दस अथवा अधिक अध्येताओं द्वारा प्रस्तावित किया जाए, तब परिषद् अकादमी के मत देने के हक़दार प्रत्येक अध्येता को प्रस्तावित परिवर्तनों और उनके कारणों का विवरण भिजवाएगी ताकि नियम 55 में दिए गए निर्देश के अनुसार अध्येताओं के सामान्य निकाय के मत लिए जा सकें। परंतु, नियम में कोई भी परिवर्तन तब तक वैध नहीं होगा जब तक मत देने वाले अध्येताओं का दो-तिहाई बहुमत प्रस्तावित परिवर्तनों के पक्ष में न हो। .
60.
ये नियम दिसंबर, 1999 में आयोजित वर्षगाँठ साधारण बैठक की समाप्ति की तिथि से प्रभावी होंगे। पहले के सभी नियम उस तिथि से रद्द किए जाते हैं। तथापि, संदर्भ के लिए पुराने नियम अकादमी के अभिलेखागार में उपलब्ध रहेंगे।.